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क्या तुम्हें याद है..

 

क्या तुम्हें याद है..

 

क्या तुम्हें याद है,,,,

हमारी वो सारी बातें ।

मेरी बाहों में,,,

गुजारी वो सारी रातें ।

वो मीठी-मीठी = सी,,,

तेरी-मेरी मुलाकातें ।

क्या तुम्हें याद है,, हमारी वो सारी बातें,,,

तेरा वो मेरे पास आना

मुझको अपने सिने से लगाना,,,

मेरे पास बैठकर मुझको अपने हाथों से खिलाना,,,,

और फिर मेरे कंधों पर तेरा वो सिर रखकर सो जाना,,,,

क्या तुम्हें याद है,, हमारी वो सारी बातें,,,,

मेरी बाहों में गुजारी,,, वो सारी रातें,,

मेरे सामने आ के,,,तेरा वो पलकें झुकाना,,,

धीमी-धीमी = सी हंसी से तेरे लबों का वो मुस्कुराना,,,

और मेरी बातों को सुनकर,, तेरा वो शर्मा जाना,,,

क्या तुम्हें याद है,,,

मेरी हर इक  बात पर,तेरा वो चिड़ जाना,,

फिर  खुदी को‌ गलत बताकर,  तुझको  मनाना,,,

मेरे हर बुरे हालात में , तेरा वो साथ निभाना,,,

 मेरे कमजोर होने पर, तेरा वो मेरी ‌ताकत बन जाना,,,

और जोर-जोर से जमाने से कह जाना,,

 हजार मुश्किलों के  बाद भी मुझे है , सिर्फ तुझे अपनाना

क्या तुम्हें याद है,,,हमारी ये सारी बातें

मेरी बाहों में गुजारी,, वो सारी रातें

वो मीठी-मीठी सी,,

तेरी मेरी मुलाकातें,,,,

 

क्या तुम्हें याद है,, मेरे सनम ,ये सारी बातें

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✍️✍️शिवम(कल्ली)

दास्तान-ए-जिन्दगी

 

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